इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती, इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती,
ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते हैं कितने प् ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते ...
पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन। पुष्प-सार का है मधुवन पुष्प-गुच्छक से झूमे उपवन।
वह मेरी माँ है, उस अमित प्रेमिल नदी की धार मैं हूँ। वह मेरी माँ है, उस अमित प्रेमिल नदी की धार मैं हूँ।
माता पिता हमारे भगवन प्रातः उठ करें उन्हें नमन । माता पिता हमारे भगवन प्रातः उठ करें उन्हें नमन ।